मासूम की हड्डियां चुनने में लगे 6 घंटे; जिन्हें भट्ठे किराए पर दिए
14 साल की बेटी। जब भी घर से बाहर जाती, मां-बाप साये की तरह साथ रहते थे। जरा सी नजरों से ओझल होती तो मां-बाप की बेचैनी बढ़ जाती।
लेकिन बुधवार रात मां-बाप को वो दर्द झेलना पड़ा जो उन्होंने बुरे से बुरे सपने में भी नहीं सोचा था। जिसका एक आंसू दोनों बर्दाश्त नहीं कर पाते थे, वो बेटी उनकी आंखों के सामने उन्हीं के खेत में बनी कोयले की भट्ठी पर जल रही थी। बेबस पिता के आंसू रुक नहीं रहे थे तो मां दहाड़े मार-मारकर रोती हुई अपनी बेटी को बुला रही थी।
दरिंदों ने पहले पिता के ही खेत में बने कोयले के भट्ठे पर 14 साल की नाबालिग से गैंगरेप किया और इसके बाद उसे भट्ठी में डाल जला दिया। भीलवाड़ा के शाहपुरा के एक गांव में हुए इस गैंगरेप और हत्याकांड ने हर किसी को अंदर तक हिला दिया।
जब गांव के लोगों को इसकी जानकारी मिली तो पूरा समाज व ग्रामीण एकजुट हो गए और आरोपियों को फांसी देने की मांग करने लगे।
इस जघन्य कांड में पांच लोग शामिल थे। गुरुवार को तीन आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया और बाकी की तलाश की जा रही है। इधर, थाने के बाहर पूरा गांव एकजुट है।

वही निकले हत्यारे गैंगरेप के बाद बेटी को पिता के खेत में जलाया
जहां इस वारदात को अंजाम दिया गया, वह खेत पीड़िता के घर से डेढ़ किलोमीटर दूर है। यहां पर कोयला बनाने के लिए पांच भट्ठे हैं, जिन्हें दो साल से किराए पर चलाया जा रहा था।
चार महीने पहले ही खेत में ये भट्ठे पीड़िता के पिता ने आरोपियों को किराए पर दिए थे। पिता ने सोचा भी नहीं था, जिन्हें वो भट्ठा किराए पर दे रहा है, वही उसके परिवार के दुश्मन बन जाएंगे। चार महीने से यहां कोयला बनाने का काम हो रहा था।
यहां काम करने वाले लोगों का नाबालिग के घर आना-जाना भी था, इसलिए वे परिवार को भी अच्छी तरह से जानते थे।
हमेशा मां-बाप के साथ जाती थी, पहली बार अकेली गई
नाबालिग के पिता ने बताया कि उनकी बेटी कभी घर से अकेली नहीं निकली। बेटी, उसकी मां और मेरी रोज की यही दिनचर्या थी कि हम लोग साथ में ही मवेशी चराने निकलते थे। बेटी कभी बोल भी देती कि मैं अकेली जा रही हूं तो मां उसका साथ नहीं छोड़ती।

बुधवार को परिवार में कोई विवाद हो गया था। रिश्तेदारी में इस विवाद को सुलझाने के लिए हमें जाना जरूरी था। इस वजह से हम लोग बुधवार को वहां चले गए।
बेटी अकेली थी तो उसने सोचा कि वह मवेशी लेकर निकल जाए। सुबह करीब 8 से 9 बजे के बीच वह मवेशी लेकर निकल गई और इसके बाद वह नहीं लौटी।
मां ने दिन में देखा तो भट्ठी बंद, रात को एक दहक रही थी
पीड़िता की मां ने बताया कि जब उनकी बेटी दोपहर 3 बजे तक घर नहीं आई तो उसे ढूंढते हुए खेत पर गई थी। उस समय खेत में कोई भट्ठी नहीं जल रही थी। इस दौरान आरोपियों से पूछा भी कि मेरी बेटी कहां है तो वे अनजान बन गए।
इसके बाद मां वहां से निकल गई और घर आ गई। शाम को गांव के लोगों को बताया तो उन्होंने ढूंढना शुरू किया। इस दौरान दोबारा वो लोग खेत की तरफ गए तो भट्ठी जल रही थी।
इसे देखकर परिवार और गांव वालों का माथा ठनका, क्योंकि दिन में भट्ठी जल नहीं रही थी और बारिश का मौसम था। अचानक रात में भट्ठी को जलती देख ग्रामीणों ने काम करने वाले लोगों से सख्ती से पूछताछ की तो वे डर गए। इसी बीच किसी ने बताया कि बेटी का जूता यहीं पड़ा है।
इस पर उन्हें लगा कि अब सारी बात सामने आ गई है। तब जाकर उन्होंने बताया कि उन्होंने मासूम के साथ गलत काम करके उसे जला दिया।
