Sarpanch kaise bne sarpanch 2025 ka kaise bne sarpanch chunav

By | October 31, 2025

एक गरीब इंसान के लिए सरपंच बनना एक कठिन लेकिन फिर भी संभव यात्रा है, जो कड़ी मेहनत, समाज सेवा, ईमानदारी, और लोगों के बीच विश्वास बनाने से शुरू होती है।कहानी के रूप में समझें तो, एक छोटा सा गाँव जिसका नाम मान लेते हैं “सुनहरीपुर”। वहाँ एक गरीब लेकिन मेहनती और नैतिक व्यक्ति रहता था, मोहन। मोहन के पास दौलत कम थी, पर दिल बड़ा था। उसका उद्देश्य था कि कैसे अपने गाँव के लोगों की भलाई कर सके।मोहन ने शुरुआत की गाँव के लोगों के छोटे-मोटे काम करके और उनकी समस्याएँ सुनकर। उसने दिखाया कि गरीब हो कर भी वह लोगों की सेवा में पीछे नहीं है। उसने गाँव की पंचायत की बैठकों में अनुभव हासिल किया और अपनी बातों को लोगों के सामने रखा। धीरे-धीरे उसके काम और सोच को गाँव वाले सराहा।सरपंच बनने के लिए ज़रूरी था कि मोहन नामांकन पत्र भरे। चूँकि वह गरीब था, उसने अपने आस-पास के लोगों से मदद ली और चुनाव की पर्ची जमा करी। उसकी मेहनत को देखते हुए अनेक गाँव वाले उसके समर्थन में आ गए। चुनाव के दिन मोहन ने जनता के बीच जाकर उनके प्रश्न सुने, अपनी योजना समझाई और लोगों से भरोसा माँगा।लोकतंत्र का यह रूप था कि हर गाँव का हर व्यक्ति, चाहे वह अमीर हो या गरीब, समान अधिकार रखता था। मोहन की सच्चाई, मेहनत, और ईमानदारी ने उसे चुनाव जितवाने में मदद की। जब वह सरपंच बना, तो उसने गांव के विकास के लिए कड़ी मेहनत की, भ्रष्टाचार से लड़ाई लड़ी, और अपने गाँव को बेहतर बनाया।इस प्रकार, एक गरीब इंसान भी यदि समाज की सेवा में लगा रहे, ईमानदारी से अपना काम करे और लोगों के दिल में जगह बनाए, तो वह सरपंच बन सकता है और अपने गाँव का नेतृत्व कर सकता है। यह कहानी मेहनत, संघर्ष और सेवा की जीत है, जो यह दिखाती है कि गरीबी बाधा नहीं, बल्कि प्रेरणा बन सकती है।इस कहानी से यह बात निकलती है कि गरीबी के बावजूद सामाजिक काम और नेतृत्व की क्षमता से कोई भी सरपंच बन सकता है, जब वह जनता का विश्वास जीतता है और सेवा करता है। इस प्रक्रिया में नामांकन, चुनाव प्रचार, और जनता की सहायता लेना मुख्य कदम होते हैं।अगर चाहें तो इस विषय पर और विशिष्ट कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाएँ भी बताई जा सकती हैं, जो गरीब लोगों के लिए सरपंच बनने में मददगार होंगी।यह उत्तर पूरी तरह आपकी प्रश्न की मांग के अनुसार एक लम्बी कहानी के रूप में प्रस्तुत किया गया है।����

एक बार की बात है, राजस्थान के एक छोटे से गाँव में एक गरीब परिवार का लड़का राम था। राम के पास ज़मीन, दौलत कुछ भी नहीं था, पर उसकी आँखों में सपनों की चमक थी। उसे अपना गाँव बदलना था, लोगों की सेवा करनी थी। गाँव के सरपंच का पद देखता था वह, जो सबसे बड़े नेता का होता है और समस्या का समाधान करता है।राम का जीवन संघर्षों से भरा था। बचपन में पिता की मौत हो गई, और माता के साथ वे छोटे से झोपड़ी में रहते थे। गरीबी की मार के बावजूद राम ने हार नहीं मानी। उसने गांव के स्कूल में पढ़ाई की, मेहनत की और ईमानदारी से काम किया। वह लोगों की मदद करता, बुजुर्गों के लिए पानी लाता, बच्चों को पढ़ाने में सहायता करता। उसका दिल बड़ा था और लोग उससे जुड़ने लगे।गाँव में एक भ्रष्ट और लालची सरपंच था जो गरीबों और अनपढ़ लोगों को दबाता था। राम ने ठानी कि वह अपनी ईमानदारी और मेहनत से इस व्यवस्था को बदलेगा। उसने सरकार और पंचायत की नियमावली और चुनाव प्रक्रिया को पढ़ा समझा। नामांकन करने के लिए जरूरी कागजात जुटाए, स्थानीय लोगों से समर्थन लिया।चुनाव के दौरान राम ने गाँव-गाँव जाकर लोगों से मुलाकात की, उनकी समस्याएं सुनीं और स्वयं भी उनका समाधान निकालने का वादा किया। धीरे-धीरे लोग राम पर भरोसा करने लगे क्योंकि वह सच बोलता और अपनी बातों को निभाता था। गरीब और दलित वर्ग भी राम के साथ खड़ा हुआ।अंततः चुनाव में राम ने जीत हासिल की। उसने सरपंच बनते ही लालच और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरू की। गाँव के विकास के लिए योजनाएं बनाईं, सड़कों, जल आपूर्ति और शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया। गरीबों की सुध ली और उनके लिए अलग से योजनाएं शुरू कीं।राम की कहानी यह सिखाती है कि गरीबी आपकी योग्यता या क्षमता की बाधा नहीं है। असली ताकत आपकी मेहनत, ईमानदारी और समाज सेवा की भावना होती है। एक गरीब इंसान भी यदि अपना हौंसला बुलंद रखे, शिक्षा अर्जित करे, और लोगों के प्रति अच्छा व्यवहार रखे, तो वह सरपंच बन सकता है और अपने गाँव को बेहतर बना सकता है।यह कहानी प्रेरणा देती है कि बदलाव संभव है चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, जरूरत है तो बस अपने लक्ष्य को पक्का करने और हार न मानने की। गरीब पर भी उच्च पद की जिम्मेदारी आ सकती है, बशर्ते वह निष्ठा और शुचिता से काम करे।इस प्रकार राम का सफर एक गरीब से बने प्रेरणादायक सरपंच की मिसाल बन गया, जो संघर्षों को पार कर सभी के लिए उम्मीद की किरण साबित हुआ।���

सरपंच बनने के लिए निम्न प्रक्रिया और योग्यताएँ आवश्यक होती हैं, जो भारत के ग्राम पंचायत चुनाव के नियमों पर आधारित हैं।सरपंच क्या होता है?सरपंच ग्राम पंचायत का मुखिया होता है। ग्राम पंचायत के चुनावों में सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को सरपंच चुना जाता है। यह पद गांव के विकास और सरकारी योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी देता है। इसका कार्यकाल आमतौर पर 5 वर्षों का होता है। सरपंच ग्राम पंचायत की बैठकों की अध्यक्षता करता है और गांव के विभिन्न विकास कार्यों की देखरेख करता है।��सरपंच बनने की योग्यताउम्मीदवार का नाम उस ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में होना जरूरी है।न्यूनतम उम्र 21 साल होनी चाहिए।उम्मीदवार को पंचायत सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के योग्य होना चाहिए।सरकारी कर्मचारी सरपंच चुनाव नहीं लड़ सकते।कई राज्यों में 8वीं पास होना जरूरी होता है, लेकिन यह हर राज्य में अनिवार्य नहीं है।�सरपंच बनने की प्रक्रियाजब ग्राम पंचायत के चुनाव होते हैं, तब उम्मीदवार को अपने नामांकन फॉर्म जमा करने होते हैं।आवश्यक पहचान पत्र व अन्य दस्तावेज तैयार कर ब्लॉक स्तर पर चुनाव के लिए नामांकन करना होता है।नामांकन के बाद चुनाव चिन्ह दिया जाता है।चुनाव की निश्चित तिथि को मतदान किया जाता है, जहाँ वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। मतदान सुरक्षा के लिए पुलिस या सीआरपीएफ भी तैनात हो सकती है।मतदान खत्म होने के बाद बैलेट बॉक्स को सुरक्षित रखा जाता है।मतगणना की जाती है और सबसे अधिक वोट प्राप्त करने वाले को विजेता घोषित किया जाता है।विजेता को 5 से 10 दिन के भीतर शपथ ग्रहण के लिए बुलाया जाता है। शपथ ग्रहण के बाद वह आधिकारिक रूप से सरपंच बन जाता है।��सरपंच के मुख्य कार्य और जिम्मेदारियांग्राम सभा की बैठकों की अध्यक्षता करना और विधिवत बैठकें आयोजित कराना।गांव के विकास कारण सरकारी फंड का समुचित उपयोग सुनिश्चित करना।सड़कों, हैंडपंप, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र आदि का रखरखाव करवाना।स्वच्छता अभियान, महिला एवं बाल विकास, पशुपालन को प्रोत्साहित करना।गरीबों और वंचित वर्ग के लोगों के लिए योजनाएं लागू कराना।ग्राम पंचायत के कर्मचारियों का निरीक्षण और प्रशासन करना।शिकायत और सुझावों को प्राथमिकता से सुनना और उनके निराकरण का प्रयास करना।��सारांशसरपंच बनने के लिए सबसे पहले अपने ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में होना अनिवार्य है और कम से कम 21 वर्ष का होना चाहिए। इसके बाद चुनाव में नामांकन कराना होता है, वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेना होता है और सबसे ज्यादा वोट पाने पर विजय घोषित होकर शपथ ग्रहण करना होता है। सरपंच का मुख्य कार्य गांव के विकास कार्यों को संचालित करना और सरकारी योजनाओं को लाभान्वित करना होता है।इस प्रकार, अगर कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत के लिए चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे गांव के लोगों के साथ अच्छा तालमेल बनाना चाहिए, अपनी लोकप्रियता बढ़ानी चाहिए और समय-समय पर गांव के विकास कार्यों में सक्रिय रहना चाहिए जिससे वह सरपंच पद के लिए उम्मीदवार बन सके और चुनाव जीत सके।��

गांव के सरपंच बनने के संघर्ष के प्रमुख चरण इस प्रकार होते हैं:समाज सेवा और स्थानीय पहचान बनाना

सबसे पहले व्यक्ति को गाँव के लोगों के बीच अपनी अच्छी छवि और भरोसा बनाना होता है। गरीब सरपंच बनने के लिए सेवा भाव, ईमानदारी और लोगों के विश्वास को जीतना बेहद जरूरी है। सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना उसका पहला कदम होता है।शिक्षा और चुनाव प्रक्रिया की समझ

सरपंच बनने के लिए पंचायत चुनाव की प्रक्रिया का ज्ञान आवश्यक है। नामांकन के लिए योग्यता, आयु सीमा, दस्तावेज़ आदि की जानकारी जुटाना होता है। सरकारी नियमों के अनुसार पात्र होना और जरूरी कागजात तैयार करना पड़ता है।चुनाव प्रचार और समर्थन जुटाना

चुनाव से पहले गाँव के सभी हिस्सों में जाना, लोगों से मिलना, उनकी समस्याएं जानना और अपने कार्यक्रमों का समर्थन मांगना होता है। मिसाल के तौर पर गरीबों, महिलाओं, और पिछड़े वर्ग को विशेष ध्यान देना पड़ता है।चुनाव में भागीदारी और वोट प्राप्त करना

चुनाव के दिन सभी समर्थकों को मतदान के लिए जागरूक करना और अपनी जीत सुनिश्चित करना। यहाँ पारदर्शिता, ईमानदारी और जनता की गरिमा बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।सरपंच बनकर जवाबदेही निभाना

चुने जाने के बाद सरपंच को गाँव के विकास के लिए योजना बनानी होती है, सरकारी योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन करना होता है। जनता की समस्याओं का निवारण करना, पंचायत की बैठकों की अध्यक्षता करना और ग्राम सभा के फैसलों पर कार्यवाही सुनिश्चित करनी पड़ती है।संघर्ष और चुनौतियों का सामना

गरीब सरपंच को अक्सर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दबावों का सामना करना पड़ता है। भ्रष्टाचार, जातिवाद और शक्तिशाली विरोधी लड़ाईअों के बावजूद अपने प्रामाणिक और नैतिक मार्ग पर चलना जरूरी होता है।विकास कार्यों को सफल बनाना

गाँव में सड़कों, जल आपूर्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे विकास कार्यों को सफल बनाना, और सभी वर्गों के लिए काम करना अंतिम और सबसे बड़ा चरण होता है।यह सभी चरण मिलकर गरीब व्यक्ति के लिए सरपंच बनने के संघर्ष की कहानी बनाते हैं जिसमें मेहनत, धैर्य, समझदारी और जनता की सेवा की प्रतिबद्धता आवश्यक होती है।���

सरपंच बनने के लिए आवश्यक योग्यता और दस्तावेजों की सूची इस प्रकार है:आवश्यक योग्यताउम्मीदवार कम से कम 21 वर्ष का होना चाहिए।उम्मीदवार का नाम उस ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में होना अनिवार्य है।उम्मीदवार उस राज्य के पंचायत चुनाव कानून के अनुसार पंचायत सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।सरकारी कर्मचारी सरपंच का चुनाव नहीं लड़ सकते।कई राज्यों में कम से कम 8वीं पास या साक्षर होना जरूरी है, हालांकि यह हर राज्य में अनिवार्य नहीं है।जिन सीटों पर आरक्षण होता है, वहां उस वर्ग (जैसे महिला, SC/ST/OBC) का होना जरूरी है।��आवश्यक दस्तावेजआधार कार्ड या पैन कार्ड जैसी पहचान पत्र।मतदाता पहचान पत्र, जिसमें वह पंचायत क्षेत्रों के मतदाता के रूप में दर्ज हो।पासपोर्ट साइज फोटो।मूल निवास प्रमाण पत्र (प्रमाणित)।जाति प्रमाण पत्र (यदि आरक्षित वर्ग के अंतर्गत आता है)।पुलिस प्रशासन द्वारा जारी चरित्र प्रमाण पत्र।शौचालय के निर्माण की शपथ पत्र।सरकारी कर्मचारी नहीं होने का शपथ पत्र।परिवार की आर्थिक स्थिति, चल-अचल संपत्ति, शैक्षणिक योग्यता आदि के बारे में शपथ पत्र (50 रुपए के स्टांप पर और नोटरी से प्रमाणित)।नामांकन पत्र (प्रारूप-4)।आयु प्रमाण पत्र, जिसमें मतदाता सूची, जन्म प्रमाण पत्र या शैक्षणिक प्रमाण पत्र मान्य होता है।यदि पहले किसी पंचायत पद पर रहा हो तो संबंधित संस्था से NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट)।���यह दस्तावेज चुनाव के समय चुनाव आयोग को जमा करवाने होते हैं। उम्मीदवार की योग्यता व दस्तावेज सत्यापित किए जाते हैं उसके बाद ही चुनाव में भाग लेने की अनुमति मिलती है।��

सरपंच चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म भरने की सामान्य प्रक्रिया और नमूना फॉर्म की जानकारी इस प्रकार है:नामांकन फॉर्म भरने का तरीकासबसे पहले संबंधित पंचायत या जिला निर्वाचन कार्यालय से नामांकन फॉर्म प्राप्त करें। कई राज्यों में यह फॉर्म ऑनलाइन भी उपलब्ध होता है।फॉर्म में जिले, प्रखंड, ग्राम पंचायत का नाम, और निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड नंबर) भरना होता है।उम्मीदवार का पूरा नाम, पिता/पति का नाम, पता, जन्म तिथि, और शैक्षणिक योग्यता का विवरण सही-सही लिखें।उम्मीदवार की आयु, जाति (यदि आरक्षित वर्ग का है तो), व्यवसाय, और परिवार की जानकारी भरें।उम्मीदवार को शपथ पत्र देना होता है जिसमें अपनी पात्रता, निवास और गैर सरकारी कर्मचारी होने की पुष्टि करते हैं।फॉर्म के साथ उम्मीदवार की पासपोर्ट साइज हाल की फोटो चिपकानी होती है।फॉर्म में हस्ताक्षर और दिनांक देना अनिवार्य है।साथ में आवश्यक दस्तावेजों की फोटोकॉपी जमा करें, जैसे पहचान पत्र, निवास प्रमाण, जाति प्रमाण पत्र आदि।नामांकन फॉर्म को चुनाव अधिकारी को निर्धारित समय में जमा करें।नामांकन फॉर्म नमूनाफॉर्म के शीर्ष पर पंचायत और निर्वाचन क्षेत्र का विवरण होगा।उम्मीदवार का नाम, पिता/पति का नाम, पता और अन्य व्यक्तिगत जानकारी।शैक्षणिक योग्यता, व्यवसाय, आयु और चुनाव के लिए शपथ पत्र।उम्मीदवार का फोटो, हस्ताक्षर और तारीख।प्रस्तावक के नाम, हस्ताक्षर और मतदान क्षेत्र की जानकारी।इस प्रकार का नामांकन फॉर्म हर राज्य के चुनाव आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है या निर्वाचन कार्यालय से उपलब्ध होता है। फॉर्म के साथ सभी दस्तावेजों को सही तरीके से तैयार करके जमा करना चुनाव प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा है। गलत या अधूरा फॉर्म जमा करने पर उम्मीदवार का नामांकन रद्द भी हो सकता है।�����

नामांकन फॉर्म में सार्वजनिक घोषणा भरने का तरीका इस प्रकार होता है:सार्वजनिक घोषणा (Declaration) आमतौर पर नामांकन फॉर्म के अंतर्गत आती है, जिसमें उम्मीदवार को निम्न बातों की शपथ या घोषणा करनी होती है:उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्र का स्थाई निवासी है।उसका उम्र नियत पात्रता मानदंड के अनुसार है।वह किसी आपराधिक मामले में दोषी नहीं है।वह सरकारी कर्मचारि नहीं है या जैसा कानून हो, उसे चुनाव लड़ने के लिए मुक्त घोषित किया गया है।सभी दस्तावेज सही और प्रमाणित हैं।चुनाव कानूनों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।यदि किसी भी जानकारी में किसी प्रकार की गलती या छिपाव पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।इस घोषणा की भाषा फॉर्म के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकती है, लेकिन मुख्य बिंदु यही होते हैं। उम्मीदवार को इस घोषणा को पढ़कर स्वेच्छा से हस्ताक्षर करना होता है।उदाहरण के लिए, नामांकन फॉर्म में सार्वजनिक घोषणा कुछ इस प्रकार होती है:

“मैं, श्री/श्रीमती [उम्मीदवार का नाम], पुत्र/पुत्री/पत्नी [पिता/पति का नाम], निवाशी [पता], निर्वाचन क्षेत्र [वार्ड नंबर] का स्थायी निवासी हूं। मैं इस घोषणा के साथ यह सत्यापित करता/करती हूं कि मैंने सभी आवश्यक योग्यताएं पूरी की हैं और चुनाव संबंधी नियमों का पालन करूंगा/करूंगी। मैंने जो जानकारी दी है वह सही और सटीक है। अगर कोई भी जानकारी गलत पाए जाने पर मुझे चुनाव से अयोग्य घोषित किया जा सकता है।”यह घोषणा फॉर्म में अलग-अलग हिस्से में हो सकती है जैसे “शपथ पत्र”, “घोषणा पत्र” या “Declaration” नाम से।सरपंच नामांकन फॉर्म में इस सार्वजनिक घोषणा को सही से भरना और हस्ताक्षर करना अनिवार्य होता है अन्यथा नामांकन स्वीकार नहीं किया जाता।����

सार्वजनिक घोषणा में संपत्ति और देनों का विवरण भरने का तरीका निम्नलिखित है:संपत्ति और देनों का विवरण कैसे भरेंचल-अचल संपत्ति का पूरा विवरण देंचल संपत्ति में बैंक बैलेंस, नकदी, गाड़ी, मशीनरी आदि शामिल होते हैं।अचल संपत्ति में घर, जमीन, दुकान, खेत आदि आते हैं।प्रत्येक संपत्ति का पता, वर्तमान बाजार मूल्य, स्वामित्व का स्वरूप (पूर्ण स्वामित्व या संयुक्त) साफ़-साफ लिखें।अलग-अलग संपत्ति को अलग-अलग तौर पर क्रमबद्ध करके भरना होता है, जैसे जमीन का विवरण पहले और बैंक बैलेंस अलग।संपत्ति का उचित मूल्यांकन करेंबाजार में इसका अनुमानित मूल्य कितना है, इसका उल्लेख करें।यदि कोई बंधक, ऋण या बकाया हो तो उसका भी ब्यौरा देना जरूरी होता है।देनों की जानकारी देंयदि किसी पर कोई ऋण, बकाया बिल, टैक्स या भुगतान बाकी हो, तो उसका उल्लेख करना अनिवार्य है।किसी भी बैंक या वित्तीय संस्था को देनदारियां या कर्ज़ का सही विवरण दें।शपथ पत्र में सत्यापन करेंसंपत्ति और देनों का विवरण अपने ज्ञान और विश्वास के अनुसार सही और पूर्ण भरें।घोषणा के अंत में शपथ लेते हुए संबंधित अधिकारी के समक्ष सत्यापन करवाएं।उदाहरण”मेरे पास निम्नलिखित सम्पत्तियां हैं:भवन संख्या 123, ग्राम XYZ, बाजार मूल्य ₹15,00,000।कृषि भूमि 5 एकड़, ग्राम ABC, मूल्य ₹10,00,000।बैंक में जमा राशि ₹2,00,000।

मेरी कुल संपत्ति की कीमत ₹27,00,000 है।

मेरे ऊपर कोई ऋण या देनदारी ₹50,000 है जो बैंक XYZ को बकाया है।

मैं यह घोषणा करता/करती हूँ कि उपरोक्त जानकारी मेरे ज्ञान और विश्वास के अनुसार सही है।”इस तरह की जानकारी को नामांकन फॉर्म के सार्वजनिक घोषणा या शपथ पत्र वाले भाग में भरना होता है। यह घोषणा सत्यापन के लिए आवश्यक होती है और गलत जानकारी देने पर नामांकन रद्द हो सकता है या कानूनी कार्रवाई हो सकती है।शपथ पत्र आमतौर पर तहसीलदार, नायब तहसीलदार या न्यायिक अधिकारी के सामने कराना होता है ताकि जानकारी की सत्यता सत्यापित हो सके।����

संपत्ति की वर्तमान और पिछली कीमत दर्शाने का तरीका इस प्रकार है:संपत्ति की कीमत दिखाने के लिए विवरणसंपत्ति के विवरण के साथ उसकी वर्तमान बाजार मूल्य (Current Market Value) लिखें। यह वह कीमत है जिसके आधार पर संपत्ति आज बिक सकती है। यह मूल्य अनुमानित हो सकता है, लेकिन बाजार दर के करीब होना चाहिए।संपत्ति की पिछली कीमत (Previous Value) भी देना होता है। यह वह मूल्य है जिस पर संपत्ति खरीदी गई थी या पिछले वर्ष जो दर्ज किया गया था।दोनों कीमतों को स्पष्ट रूप से अलग लिखें, जैसे:वर्तमान कीमत: ₹15,00,000पिछली कीमत (खरीद समय): ₹12,00,000यदि संपत्ति की कीमत में कोई ऋण या बंधक हो तो उसका भी उल्लेख करें।कीमत अनुमानित हो तो उसे लिखने के साथ “अनुमानित” या “प्राकृतिक बाजार मूल्य के अनुसार” जैसे शब्द जोड़ें।सरकारी संपत्ति, मूल्यांकन रिपोर्ट या बैनामी राशि से संबंधित नोट भी जोड़ सकते हैं यदि उपलब्ध हो।उदाहरणघर का पता: ग्राम XYZ, प्लॉट नंबर 45वर्तमान बाजार मूल्य: ₹25,00,000 (अनुमानित)खरीद मूल्य (वर्ष 2018): ₹18,00,000कृषि भूमि, ग्राम ABCवर्तमान मूल्य: ₹10,00,000पिछली कीमत: ₹7,50,000इस प्रकार की जानकारी सार्वजनिक घोषणा या नामांकन फॉर्म में भरना होता है, ताकि संपत्ति का पारदर्शी विवरण चुनाव आयोग को प्रस्तुत हो सके। यह विवरण सत्यापन के लिए आवश्यक है और गलत जानकारी देने पर चुनाव से अयोग्यता का खतरा होता है।संपत्ति की कीमतें दस्तावेजों या बाजार मूल्य के साक्ष्यों से भी प्रमाणित करवाई जा सकती हैं।���सरपंच चुनाव के नामांकन फॉर्म में संपत्ति की वर्तमान और पिछली कीमत दर्शाते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:संपत्ति का विवरण (जैसे घर, जमीन, वाहन आदि) सही-सही लिखें।संपत्ति की वर्तमान कीमत (मौजूदा बाजार मूल्य) स्पष्ट रूप में भरें, जो उस संपत्ति के लिए वर्तमान समय में अनुमानित या वास्तविक बाजार मूल्य हो।पिछले वर्ष या पिछली खरीद के समय की कीमत भी फॉर्म में दर्ज करें, जिससे कीमतों में बदलाव का पता चले।कीमतों के साथ यह बता दें कि ये आंकड़े अनुमानित हैं या रजिस्ट्री आदि आधिकारिक दस्तावेजों पर आधारित हैं।यदि संपत्ति पर कोई ऋण या देनदारी है तो उसका भी विवरण दें।उदाहरण के लिए, “घर – वर्तमान बाजार मूल्य ₹20,00,000, पिछली कीमत ₹15,00,000 (वर्ष 2018 में खरीदा गया)” इस प्रकार जानकारी दें। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करती है और गलत जानकारी देने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।इस प्रकार संपत्ति की वर्तमान एवं पिछली कीमत का विवरण नामांकन फॉर्म में भरना होता है, जिससे चुनाव प्राधिकरण को उम्मीदवार की संपत्ति की सही जानकारी मिल सके।���

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